“सोच का जादू” – Moral Stories in Hindi
Moral Stories in Hindi , दोस्तों आज की इस Hindi Moral Stories में आपको एक बहुत बड़ी सीख सीखने को मिलेगी।
ये कहानी रोचक होने के साथ – साथ एक सीख भी देगी इस कहानी को अपने Family के साथ जरूर पढ़ना।
तो शुरू करते है आज की ये कहानी –
एक बार भगवान गौतम बुद्ध अपने भिक्षुक के साथ गाँव जा रहे थे। काफी दूर पैदल चलते-चलते वह थक जाते है।
तब एक भिक्षुक कहता है – गुरु जी! क्या हम आराम कर सकते है।
महात्मा बुद्ध जी कहते है, ‘हाँ’।
महात्मा कहते है – वो देखो, उस पेड़ के नीचे आराम करते है।
पेड़ के नीचे आराम करते हुए, उनमे से एक भिक्षुक कहता है – गुरु जी आप हमेशा एक बात कहते थे, कि “इंसान जैसा सोचता है , वह बिल्कुल वैसा ही बन जाता है”
कृपया आप हमें इसके बारे में विस्तार से बताइये।
महात्मा (भगवान) गौतम बुद्ध , भिक्षुक से कहते है – आज मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।
किसी नगर में एक धनी सेठ रहता था। उसके पास बहुत धन था , फिर भी वह पैसे कमाने के बारे में सोचता रहता था।
एक दिन उस सेठ के यहाँ उसका ‘रिश्तेदार’ आया। सेठ उसकी खूब ख़ातिरदारी करता है। वे दोनों आपस मे बातचीत करते है।
तब उसका रिश्तेदार कहता है – कि सेठ जी, आप ही की तरह एक धनी सेठ था, वह आपसे भी ज्यादा धनी था। वह हमेशा धन कमाने के बारे में सोचता रहता था।
सेठ उससे पूछता है – तुम ” था -था “ , क्यों बोल रहे हो।
रिश्तेदार कहता है – मैं ” था -था ” , इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि वह सेठ अब जीवित नही है, वह मर चुका हैं।
वह सेठ बेचारा धन कमाते -कमाते भूल गया था, कि मृत्यु भी कोई चीज होती है।
सेठ पूछता है – क्यों , क्या हुआ, कुछ कारण तो होगा।
रिश्तेदार कहता है – कारण तो कुछ नही है। अचानक से बुलावा आ गया था। इसलिए वह मर गया।
सेठ कहता है – ऐसे कैसे बुलावा आ गया। कुछ बीमारी होगी तभी मर गया।
रिश्तेदार कहता है – बीमारी कुछ नही थी ,अचानक ही मर गया।
( सेठ उसकी बातें सुनकर हैरान रह जाता है। क्योंकि वह अब तक सोचता था , कि मृत्यु सिर्फ बीमार होने पर या बुढ़ापा आने पर ही आती है )
अगले दिन वह रिश्तेदार चला जाता है, लेकिन सेठ के लिए बहुत बड़ी समस्या छोड़ जाता है।
सेठ सोचता है, कि वह भी जवान है, उसे भी मृत्यु आ सकती है।
सेठ पहले धन कमाने के बारे में सोचता रहता था। लेकिन अब हर पल मृत्यु के बारे में सोचता रहता था, कि कही वह मर ना जाये।
दिनों रात मृत्यु के बारे सोच -सोचकर उसने बिस्तर पकड़ लिया, उसकी तबियत और भी बिगड़ने लगी।
कुछ दिनों बाद उसका दोस्त आता है और सेठ से पूछता है – कि तुम इतने बीमार कैसे पड़ गए क्या हुआ।
( सेठ उसे सारी बात बता देता है )
अगले दिन दोस्त, सेठ को एक सन्यासी के पास ले जाता है।
और कहता है – ये ज्ञानी सन्यासी है । तुम इन्हें अपनी सारी समस्या बताओ, ये तुम्हारा हल जरूर देंगे।
सेठ सन्यासी से कहता है – गुरु जी, मैं अभी मरना नही चाहता, मैं जीना चाहता हूँ। मुझे डर है, कि मैं कही मर ना जाऊं।
सन्यासी कहता है – कि मैं तुम्हारी इस समस्या का अभी हल निकाल देता हूँ।
सेठ कहता है – कृपया करके मुझे बताइये।
सन्यासी कहते है – मैं तुम्हे “एक मंत्र” बताता हूँ। यह मंत्र है –
“जब तक मुझे मृत्यु नही आएगी, तब तक मैं जीऊंगा”
तुम रोज सात दिनो तक अपने मन में और बाहर इस मंत्र को बोलना। और सात दिनों बाद मेरे पास आना।
सात दिनों बाद सेठ सन्यासी के पास हंसते हुए जाता है और कहता है, गुरु जी ‘धन्यवाद’।
मैं आपके मन्त्र के वजह से ठीक हो गया हूं, अब मुझे मृत्यु का बिल्कुल भी डर नही है।
दोस्तो, आप सब सोच रहे होंगे, कि इस छोटी सी लाइन में ऐसी क्या बात थी, जिससे वह ठीक हो गया।
तो दोस्तो, हम आपको बताना चाहते हैं , कि जब उस सेठ को दूसरे सेठ की मृत्यु के बारे मे पता चला तो, वह उसी दिन से हर पल मृत्यु के बारे मे सोचने लगा था,
और उसकी तबियत इतनी बिगड़ गयी थी, कि वह कभी भी मर सकता था।
लेकिन जब उस सेठ को दूसरे सेठ के बारे में नही मालूम था, तो वह धन कमाने के बारे मे सोचता रहता था। इसलिए वह धनी होता जा रहा था।
तो दोस्तो, हमे इस छोटी सी कहानी से यह समझ आता है, कि “हम जो बात अपने मन में और बाहर रटते रहते है, वह हमारी जिंदगी में हक़ीक़त बन जाता है”।
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Moral Stories in Hindi , तो दोस्तों अगर आपको इस कहानी से कुछ सीखने को मिला और आपको ये कहानी अच्छी लगी हो तो इसेअपने दोस्तों के साथ Social media पर Shareभी कर देना।
तो मिलते है एक नयी कहानी में ( Moral Story in Hindi ) की जुबानी में।