“कहानी लालच की” – Moral Story in Hindi
Kahani Lalach ki in Hindi , दोस्तों ये कहानी आपको बहुत मजेदार लगेगी और इस कहानी में छिपी Moral Story in Hindi भी आपको अच्छी लगेगी।
तो चलिए शुरू करते हैं आज की ये कहानी :-
एक बार एक जमीदार एक कुम्हार के घर जाता है और और वहां घर के बहार आकर कहता है ,
रामू ओ रामू, कहाँ हो बाहर आओ?
रामू कहता है – मालिक आइए, आपका स्वागत है।
जमीदार रामू से कहता है – रामू तुम्हें ‘सात दिनों में सौ मटके बनाने है’ रामू यह सुनकर चौक जाता है
और कहता है – मालिक सात दिनों में 100 मटके कैसे बनेंगे।
जमीदार रामू से कहता है – मेरी मां की इच्छा है कि वह गरीबों में मटके दान करें। ये लो पैसे, मुझे विश्वास है कि तुम जल्द ही मटके बना दोगे।
रामू का पड़ोसी(सुरेश) अपने घर से यह सब देख रहा होता है और सोचता है, कि जमीदार को इस पर बहुत विश्वास है ना, ठीक है भरोसा कैसे तोड़ा जाता है वो मुझे अच्छी तरह पता है।
रामू बाजार जाकर मिट्टी लाता है और मटके बनाना शुरु कर देता है।
रामू एक दिन में कई सारे मटके बना लेता है।
रामू की पत्नी कहती है – सुनिए खाना खा लीजिए। आप सुबह से काम कर रहे है, जल्दी आइए। रामू खाना खाने चला जाता है।
उसका पड़ोसी(सुरेश) यह सब देख कर चौक जाता है कि रामू ने एक दिन में इतने सारे घड़े बना लिए लिए हैं।
वह सोचता है, कि रामू की जमीदार के सामने ऐसे बेइज्जती करूँगा, कि कही मुँह दिखाने लायक नही रहेगा।
सुरेश एक हलवाई के पास जाता है और कहता है – बसन्त तुम बहुत अच्छा खाना बनाते हो।
हलवाई कहता है – मैं पेशे से एक हलवाई हूं। इसलिए कभी-कभी लोगों को न्योता देकर घर पर खाना खिलाता हूँ।
सुरेश उससे कहता है – कि तुम रामू को क्यों नहीं बुलाते? जब मैंने तुम्हारे बारे में रामू से कहा तो, वह कुछ उदास हो गया।
हलवाई कहता है – ठीक है। मैं कल उसके घर जाकर खाने का न्योता दे आऊंगा।
सुरेश कहता है – कि, रामू को मत बताना कि, यह बात मैंने तुमसे कही है।
हलवाई कहता है – अरे ना – ना, मैं क्या पागल हूँ। जो मैं उससे कहूंगा।
अगले दिन हलवाई रामू के घर जाता है
और कहता है – अरे रामू, कैसे हो सब ठीक हैं।
वह कहता है – मैं ठीक हूं और यह क्या तुम मटके बना रहे हो। ‘हाँ’।
हलवाई कहता है – तुम्हें तो पता ही है, मैं एक हलवाई हूं और कभी-कभी कुछ खास लोगों को न्योता देकर खाना खिलाता हूँ।
तो आज तुम सब लोगों को, मैं न्योता दे रहा हूँ। आज तुम्हें मेरे घर पर खाना खाने के लिए आना है।
रामू कहता है – ठीक है, हम लोग शाम को तुम्हारे घर आएंगे।
शाम होते ही रामू और उसकी पत्नी दोनों हलवाई के घर जाते हैं और पीछे से सुरेश एक डंडा लेकर रामू के घर आता है और गुस्से में सारे मटके तोड़ देता है।
खाना खाने के बाद वे दोनों घर के लिए निकल जाते हैं और कहते हैं कि, आज का खाना बहुत ही टेस्टी था, मजा आ गया।
वे दोनों जब घर पहुंचते हैं और देख कर चौक जाते जाते हैं।
कि उसके सारे मटके टूटे पड़े हैं। यह देखकर वह बहुत रोता है और कहता है कि, मैं इतनी जल्दी कम दिनों में इतने सारे मटके कैसे बनाऊंगा।
अगले दिन सुरेश की साँस, सुरेश के घर जाती है और दरवाजा खटखटाती है ,
बेटी हो बेटी दरवाजा खोल। देख, तेरी माँ आई है।
तभी पीछे से रामू की पत्नी आकर सुरेश की खिड़की पर खड़ी हो जाती है।
बेटी दरवाजा खोलती है और कहती है – माँ, आइए आप मुझसे मिलने आई है ‘हां’ बेटी
मां पूछती है – दामाद जी कहां है? माँ , वे बहुत काम कर रहे है।
ऐसा क्या काम कर रहे है?
वह कहती है – माँ, रामू को जमीदार ने सौ मटके बनाने का काम दिया था। उसने कई सारे मटके बना लिए थे।
जब वह शाम को खाना खाने गए थे, तब तुम्हारे दामाद ने रामू के घर जाकर सारे मटके तोड़ डाले।
अब रामू इतने कम दिनों में मटके नही बना सकता है और अब तो उसकी हिम्मत ही टूट गयी है ।
जब जमीदार रामू के यहाँ जाएंगे और उन्हें सौ मटके बने हुए नही मिलेंगे तो वे रामू की खूब बेइज्जती करेंगे।
तभी आपके दामाद सौ मटके बनाकर जमीदार को दे देंगे।
जिससे वह खूब पैसे कमाएंगे, इज्ज़त कमाएंगे और जमीदार गुस्सा होकर रामू को गाँव से बाहर निकाल देंगे।
( यह सब सुनकर रामू की पत्नी को बहुत गुस्सा आता है और वहाँ से चली जाती है। )
रामू की पत्नी कहती है – आप फिर से मटके बनाइये।
रामू कहता है – इतने कम समय में कैसे होगा और अब तो पैसे भी नही है।
पत्नी – ये लो मेरे सोने के कंगन इन्हें बेचकर मिट्टी ले आइए। आप यहाँ मटके नही बनायेंगे। किसी दूसरी जगह पर बनायेंगे।
( पत्नी सुरेश के बारे में सब कुछ बता देती है )
अगले दिन जमीदार रामू के यहां आते है।
अरे रामू, कहाँ हो?
तभी सुरेश आ जाता है और कहता है – मालिक वह तो यहाँ नही है। उसने तो एक भी मटका नही बनाया है। पता नही कहाँ चला गया है।
जमीदार कहते है – अब मटके कहाँ से आएंगे ।
सुरेश कहता है – मालिक मेरे पास सौ मटके बने हुए है आप मेरे मटके ले सकते है।
( जमीदार सुनकर खुश हो जाता है )
तभी पीछे से रामू सौ मटके बनाकर ले आता है,
जमीदार कहते है कि हमने तो सुना था, कि तुमने एक भी मटका नही बनाया है
रामू : – मालिक इस सुरेश ने मेरे सारे मटके तोड़ डाले।
सुरेश :- तुम्हारे पास क्या सबूत है, कि मैने ही मटके तोड़े है।
रामू की पत्नी :- मैं हूँ सबूत, मैंने तुम्हारी पत्नी को उसकी माँ से बात करते हुए सुना था।
जमीदार :- सच बताओ सुरेश , वरना मैं तुम्हें गाँव से बाहर कर दूंगा।
तब सुरेश माफी मांगता है मुझे माफ़ कर दीजिए , मुझे रामू से जलन हो गयी थी और मन मे लालच आ गया था। इसलिये यह सब किया।
दोस्तो, इस कहानी Moral Story in Hindi , Kahani Lalach ki in Hindi , से यह सिखने को मिलता है कि हमे कभी ईर्ष्या और लालच नही करना चाहिये क्योंकि ईर्ष्या और लालच इंसान को गिरावट की ओर ले जाता है।
तो मिलते है एक नयी कहानी में ( Moral Story in Hindi ) की जुबानी में।