कटहल का पेड़ – Akbar Birbal story in Hindi – Kathal ka Ped

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“कटहल का पेड़” – Akbar Birbal story

Har mushkil ka hal Akbar Birbal , ये जुमला तो अपने जरूर सुना होगा , तो आज इसी Akbar Birbal story in Hindi का एक रोमांचक हिस्सा आपके सामने हम लेकर आये  है , उम्मीद  है  कि आपको ये कहानी पसंद आये। 

तो चलिए शुरू करते हैं आज की ये कहानी :-

तो  Akbar Birbal story कुछ यूँ  शुरू होती है –

 

बीरबल को प्रकृति से बहुत प्रेम था, इसलिए बीरबल रोज दरबार के बगीचे में घूमा करते थे। वहाँ उनकी एक बाबूलाल नाम के माली से बहुत बनती थी। वह बहुत ईमानदार था।

एक दिन बीरबल बगीचे में घूम रहे थे, तभी बाबूलाल के रोने की आवाज़ आती है।

बीरबल उससे पूछते है – क्या हुआ बाबूलाल, तुम क्यों रो रहे हो?

बाबूलाल रोते हुए कहता है – हुजूर, मैं पन्द्रह सालो से अपने बुढ़ापे के लिए कुछ पैसे इकट्ठे कर रहा था। इन पैसे को, मैं एक मटके में भरकर इस पेड़ के नीचे घाड़ देता था।

लेकिन अब मेरा मटका मिल नही रहा है। अब मैं क्या करूँगा।

बीरबल कहते है – तुमने अपना मटका यहाँ क्यों घाड़ दिया। अपने घर पर भी तुम मटके को रख सकते थे।

बाबूलाल कहता है – मैने सोचा कि, यहाँ पर तो कोई आता जाता नही है। कौन मेरे पैसे को चुराकर ले जाएगा। वैसे भी मैं अपना सारा वक्त यही बिताता हूँ। जिससे मेरी नज़र हर वक्त इस पेड़ पर रहती थी।

बीरबल कहते है – क्या तुम्हें किसी पर शक है?

बाबूलाल कहता है – नही, हुजूर!

बीरबल कहते है – क्या तुमने कभी किसी को इस बारे में बताया है, या फिर किसी ने तुम्हें पैसे रखते हुए देखा हो। नही , हुजूर! मैने किसी को नही बताया।

बीरबल कहते है – बाबूलाल, तुम चिंता मत करो! सब ठीक हो जाएगा। अब तुम घर जाओ।

( बीरबल सोचते है, उस बगीचे में सिर्फ मंत्रियों का आना जाना है। और किसी को इस बारे में मालूम भी नही है तो वह इस पेड़ को क्यों खोदेगा और वो भी “कटहल के पेड़ को”
कोई वैध या हकीम इस पेड़ को दवाई के लिए खोद सकता है )

अगले दिन बीरबल अकबर से कहते है – जहाँपनाह, क्या मैं मन्त्रियों से कुछ सवाल पूछ सकता हूँ। ‘हाँ’ क्यों नही।

बीरबल पूछते है – क्या आप मे से कुछ दिन पहले कोई बीमार था। जिसने कोई दवाई ली हो।

तब एक मंत्री कहते है – हाँ, मेरे गले मे कुछ दिनों से दर्द था। मैने काढ़ा पिया था।

बीरबल कहते है – काढ़ा बनाने के लिए जड़ी – बूटियाँ कहाँ से आई। – मेरी पत्नी अपने मायके से लेकर आई।

तभी दूसरे मंत्री उठकर कहते है – बीरबल, मेरे पेट मे कुछ दिनों से कब्ज़ है। मेरे हकीम ने मुझे कुछ जड़ी – बूटियाँ दी। जिससे मुझे तीन दिन में फायदा दिखा।

तब अकबर कहते है – बीरबल, हमे कुछ भी समझ नही आ रहा है। तुम क्या कर रहे हो।

बीरबल कहते है – जहाँपनाह, मैं आपको सब कुछ बाद में समझा दूंगा। ‘ठीक है’ बीरबल, जैसा तुम कहो।

बीरबल मंत्री से कहते है – क्या आप अपने हक़ीम को बुला सकते है? ‘हाँ’ क्यों नही।

( हकीम को दरबार मे पेश किया जाता है )

बीरबल हकीम से कहते है – मेरे पेट मे दो साल से कब्ज है। मैने आपके बारे में सुना था कि आप बहुत अच्छी दवाई देते है।

हकीम कहता है – मैं आपको ऐसी दवाई दूंगा। जिससे आपकी कब्ज़ दो दिनों में सही हो जाएगी।

जिस कब्ज़ से मैं इतने महीनों से परेशान था, क्या मेरी कब्ज़ वास्तव में सही हो जाएगी? आप इस दवाई के लिए कौन सी जड़ी – बूटियो का इस्तेमाल करते हो।

हकीम कहते है – वैसे तो मैं, किसी को भी नही बताता हूँ। पर आप पूछ रहे है इसलिए बता रहा हूँ। इस दवाई को बनाने के लिए एक खास चीज की जरूरत पड़ेगी वह है “कटहल के पेड़ के जड़ का अर्क।”

( यह सुनकर सब चौक जाते है )

बीरबल कहते है – कटहल के जड़ का अर्क, अब तो मुझे और लम्बे समय तक इन्तेजार करना होगा। क्योंकि इस पूरे राज्य में कटहल का पेड़ कही भी नही मिलेगा।

हकीम कहता है – हुजूर, घबराने की कोई बात नही है। एक कटहल का पेड़ राजा अकबर के बगीचे में ही है।

बीरबल कहते है – हकीम, मैं आपको सच बोलने का एक मौका देता हूँ। बाबूलाल के पैसे वापस करने का। बाबूलाल ने उस पेड़ के नीचे अपने पैसे घाड़ दिए थे और वह उस बगीचे का माली है।

यह सुनकर हकीम डर जाता है और कहता है – हुजूर, मुझे माफ़ कर दीजिए। मुझे उस पेड़ के नीचे एक मटका मिला था, जो पैसों से भरा हुआ था। मैने सोचा कि, यह मटका काफ़ी पुराना है और जिसने उसे  घाड़ा था, शायद वह भूल गया है।

इसलिए मैंने उसे ले लिया।

मुझे माफ़ कर दीजिये। आगे से मैं कभी ऐसा नही करूँगा।

बीरबल कहते है – जहाँपनाह, इन्हें माफ कर दीजिए। क्योंकि इन्होंने सच बोला।

तुम कहतो हो तो, हम इन्हें माफ़ कर देते है।

बीरबल, बाबूलाल से पूछते है – मटके में कितने पैसे थे? हुजूर उसमे 70 सोने की अशर्फिया थी।

बीरबल कहते है – तुम्हारी वेवकूफ़ी की वजह से तुम्हें सिर्फ 60 अशर्फिया दी जाएंगी।

 

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