Ashwin Navratri kyu Manate hai | नवरात्री के बारे में सम्पूर्ण जानकारी 2020

Navratri kyu Manate hai  ,  नवरात्री कैसे मनाई जाती है , नवरात्री कब मनाई जाती है, और नवरात्री मानाने का कारण क्या है ,  ये सवाल आपके मन में जरूर आते होंगे .

तो आज के इस आर्टिकल में आपको नवरात्री के बारे में सभी जानकारी मिलेगी .

Ashwin Navratri kab kaise aur kyu Manate hai | Navratri ke bare me sabhi jankari 2020

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नवरात्री पूरे भारत मे बड़े उल्लास के साथ मनाई जाती है। यह हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है। नवरात्री शब्द संस्कृत से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है – नौ राते  यानी देवी के नौ रूप

इन नौ दिन देवी के नौ रूपो की पूजा की जाती है। माता के नौ रूप – शैलपुत्री , ब्रम्हाचारिणी , चंद्रघंटा , कूष्मांड , स्कंदमाता , कात्यायनी , कालरात्रि , महागौरी और सिद्धिदात्री है।

 

नवरात्री कब मनाई जा रही है | Kab Manayi Jati hai Navratri

इस साल 2020 में नवरात्री रविवार ,17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर , शनिवार तक मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार ऐसा संयोग 19 साल बाद बन रहा है।

 

नवरात्री व्रत या उपवास कैसे रखते हैं | Navratri Kaise Manya Jata hai

इन नवरात्री में कुछ लोग पूरे नौ दिन उपवास रखते है और नौ दिनों तक अन्न का एक भी दाना नही खाते है। इन नौ दिनों में लोग एक सेब पर या एक बताशे पर या फिर एक लौंग पर उपवास रखते है।

कुछ लोग पहला और आखिरी दिन उपवास रखते है। इन नौ दिनों में लोग सुबह जल्दी नहाकर मंदिर में माता की पूजा करने जाते है। बड़े जोर शोर से माता के भजन गाए जाते है।

कुछ साधू इन नौ दिनों में जाप द्वारा सिद्धि प्राप्त करने का प्रयास करते है।

 

Navratri kaise Manate hai | आश्विन नवरात्री चौकी स्थापित करने में जरुरी वस्तुएं

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नवरात्री के पहले दिन कलश और माता की चौकी स्थापित की जाती है।

माता की चौकी स्थापित करने के लिए गंगाजल , रोली , पान , सुपारी , धूपबत्ती , घी का दीपक ,चंदन , नारियल , कपूर , दही , आम के पत्ते ,पुष्प , दुर्गा जी की मूर्ति व उनके कपड़े , श्रृंगार का सामान आदि की जरूरते पड़ती है।

 

Navratri kyu Manate hai | नवरात्री से जुड़ी कुछ परम्परायें

नवरात्री से जुड़ी कुछ परम्परायें जैसे – इन नौ दिनों में नाखून नही काटने चाहिए , बाल और दाढ़ी नही काटने चाहिए। लहसुन , प्याज , मांस और शराब का सेवन नही करना चाहिए और छल , कपट करने से दूर रहना चाहिए।

 

Navratri me Mahanavami kab manate hai | महानवमी कब मनाई जाती है

नवरात्री के ‘नौवें दिन महानवमी’ मनायी जाती है और दंशवे दिन दुर्गा देवी का विसर्जन किया जाता है और इस दिन ‘दशहरा‘ भी मनाया जाता है।

महानवमी को नौ कन्याओ को देवी का रूप समझकर घर पर बुलाया जाता है और उनके स्वागत के लिए पैरों को धोकर उनकी पूजा की जाती है।

फिर उन्हें खाना खिलाया जाता है। खाना खिलाने के बाद कन्याओं को उपहार दिया जाता है। और कई जगह तो भंडारा भी किया जाता है।

 

Navratri Kab Manayi Jati hai | नवरात्री कौन से महीने में मनायी जाती है

नवरात्री साल में चार बार मनायी जाती है। एक गर्मी के ‘चैत्र महीने में और सर्दी के अश्विन महीने’ में और दो गुप्त नवरात्री मनाई जाती है। लेकिन चैत्र और अश्विन महीने की नवरात्री को ज्यादा महत्व दिया जाता है।

यह त्यौहार भारत के कई राज्यो में अलग – अलग तरीके से मनाया जाता है। जैसे – उत्तर भारत मे नवरात्री में राम लीला का नाटक किया जाता है और दशवें दिन दशहरा मानाया जाता है।

इन दिनों मंदिरों में खूब भीड़ रहती है। बड़े उल्लास के साथ पांडाल सजाये जाते है। मंदिरों में , घरों में, हर जगह दुर्गा देवी की पूजा करने के बाद लोगो को प्रसाद बांटा जाता हैं

और कई जगह तो जागरण भी होता है और गुजरात मे डांडिया और गरबा से पूरी रात नवरात्री का त्यौहार मनाया जाता है। अलग – अलग राज्यो में इस त्यौहार को बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है।

 

Navratri Kyu Manayi Jati hai | नवरात्री क्यों मनायी जाती है

नवरात्री मनाने की दो पुरानी कथाएँ है। इन्ही के आधार पर हर साल नवरात्री मनाई जाती है। तो आईये, जानते है Navratri kyu Manate hai और  नवरात्री की कथाएं।

 

नवरात्री की पहली कथा

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एक महिषासुर नाम का पराक्रमी आदमी था। जो रम्भ नाम के दानव का पुत्र था। महिषासुर ने एक भैस के गर्भ से जन्म लिया था। महिषासुर ने ब्रम्हा जी की घोर तपस्या की थी। जिससे ब्रम्हा जी ने खुश होकर उसे वरदान दिया।

महिषासुर ने वरदान में ‘अमर होने का वरदान‘ माँगा।

तब ब्रम्हा जी ने उससे कहा – जब कोई प्राणी धरती पर जन्म लेता है तो उसकी मृत्यु निश्चित ही होती है। मैं तुम्हें अमर होने का वरदान नही दे सकता। लेकिन तुम अपने मरने की एक कठोर शर्त रख सकते हो।

तब महिषासुर कहता है – प्रभु ! मेरी मृत्यु ‘किसी स्त्री के हाथों’ से होनी चाहिए।

ब्रम्हा जी उसे वरदान दे देते है। वरदान को पाकर महिषासुर के मन मे छल कपट आ गया। उसने चन्द्र , इंद्र , देव, अग्नि, वायु , यम , वरुण , आदि देवताओं की शक्तियां छीन ली थी।

अब महिषासुर अपनी शक्तियों का गलत उपयोग करने लगा था।

पूरे स्वर्ग लोक पर उसने अपना अधिकार जमा लिया। सभी देवता उससे बहुत परेशान रहने लगे।

तब ब्रम्हा , विष्णु , शंकर , आदि देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों से दुर्गा देवी को जन्म दिया और सभी देवताओं ने अपने अस्त्र दुर्गा देवी को दे दिए और उनसे महिषासुर का वध करने को कहा।

फिर दुर्गा देवी और महिषासुर में नौ दिनों तक लड़ाई हुई और अंत मे महिषासुर मारा गया।

और यह भी एक कारण है कि Kyu navratri manayi jati hai .

 

नवरात्री की दूसरी कथा

श्री राम लंका में रावण का वध करके सीता को छुड़ाकर लाना चाहते थे। तब ब्रम्हा जी ने श्री राम से कहा – राम! तुम चंडी देवी का पूजन करो और देवी को खुश करो।

फिर राम ने हवन पूजा शुरू की और पूजा के लिए ‘एक सौ आठ नीलकमल’ की व्यवस्था की।

रावण को श्री राम की पूजन की बात मालूम पड़ जाती है, तो वह भी श्री राम को हराने के लिए और अमर होने के लिए चंडी देवी को खुश करने के लिए पूजा करवाता है।

रावण श्री राम का ध्यान हटाने के लिए मायाबी शक्ति से एक नीलकमल गायब कर देता है।

श्री राम एक – एक करके नीलकमल को हवन में अर्पित कर रहे थे, तभी एक नीलकमल कम पड़ जाता है और श्री राम का ध्यान हट जाता है। वह डर जाते है और कहते है – अब क्या होगा, कही देवी रुष्ट न हो जाये।

तभी श्री राम को याद आता है कि, लोग उन्हें ‘कमलनयन नवकचं लोचन’ कहते है। क्योंकि उनकी आँखें नीलकमल जैसी थी।

फिर वह कहते है – मैं अपनी एक आँख हवन में सोंफ देता हूँ।

श्री राम जैसे ही बाण उठाकर अपनी आँख पर लगाते है तभी, अचानक देवी प्रकट हो जाती है और कहती है – राम! मैं तुम्हारी पूजा से बहुत खुश हुई हूँ , मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूँ कि जीत तुम्हारी होगी।

वही रावण भी ब्राह्मणो से पूजा करवा रहा होता है तभी हनुमान जी एक ब्राह्मण बालक का रूप धारण करके लंका में पहुँच जाते है और सेवा में लग जाते है।

बालक को देखकर ब्राह्मण बहुत खुश हो जाते है और उन्हें एक वरदान देते है।

तब हनुमान कहते है – प्रभु! आप जिस मन्त्र से यज्ञ कर रहे है, आप उसमे मेरे कहने से एक अक्षर बदल दीजिये। ब्राह्मण उसकी बात समझ नही पाते है

और हनुमान के अनुसार, उस मन्त्र “जयदेवी… भूर्तिहरिणी में ‘‘ के स्थान पर ‘‘ का उच्चारण करे।”

फिर ब्राह्मण इस मन्त्र का उच्चारण करते है। तभी देवी प्रकट हो जाती है और गुस्से में रावण से कहती है – तुम्हारा नाश होगा और तुम्हारी कभी जीत नही होगी।

क्योंकि भुर्तिहरिणी का अर्थ होता है – प्राणियों को पीड़ा हरने वाली और करणी का अर्थ होता है – प्राणियों को पीड़ा देने वाली।

फिर अंत मे रावण का वध हो जाता है।

बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।

यही कारण है नवरात्री मनाने का कि  Navratri kyu Manate hai , इसलिए साल में दो बार नवरात्री मनायी जाती है।

 

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आशा करते है की आपको नवरात्री के बारे में सभी जानकारी मिल गयी होगी कि Ashwin Navratri kyu Manate hai , नवरात्री कब मनाई जाती है, और नवरात्री मानाने का कारण क्या है

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